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एक ऐसी अनोखी आरती जो ना किसी ने सुनी ना पढ़ी। पर सबको पता होनी चाहिए।

                               आरती

करहुँ आरती आरती हर की, रघुकुल कमल विपन दिनकर की। 

आरती सीता राम चरन की, भरत शत्रुघ्न श्री लक्ष्मन की। 

कौशल्यादि मात परिजन की, श्री दशरथ के जीवन धन की।। 

मुनि मनः जन सुखकर की, करहुँ आरती............ 

आरती हनुमान बलराशी, अष्ट सिद्धि नौ निधि सबहि की, 

करहु आरती............. 

आरती राधा कृष्ण चंद्र की, वसुदेव आनंद कंद की। 

मात यशोदा पिता नंद की, गोपिन गोपन गोवर्धन की। 

लक्ष्मी नारायण हर हर हर की, करहुँ आरती.............. 

आरती शंकर पार्वती की, गणपति दुर्गा सरस्वती की। 

गंगा यमुना धेनु मति की, सकल तीर्थ गुरुदेव अति की। 

मुनि मन्ह रंजन सुखकर की, करहुँ आरती................. 

जो गावे सुख संपति पावे, रोग दोष दुःख दर्द नसावे, 

जै सच्चिदानंद प्रभु हर की, करहु आरती।........... 

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